आज के इस लेख में हम जानेंगे कि मेडिटेशन हमारी बीमारी पर कैसे काम करता है? (How Meditation works on disease) एक चीज मेडिकल साइंस ने कही है। कि हर क्षण हमारे शरीर की कोशिकाएं मरती रहतीं हैं। और साथ ही हर क्षण एक नयी कोशिकाएं जन्म लेतीं हैं।
मजे की बात यह है कि किसी आर्गन की सारी कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं और नयी कोशिकाएं पैदा होती हैं। अगर मान लीजिये ह्रदय के हार्ट होने से पांच सप्ताह में सभी कोशिकाएं मर गयीं और पांच सप्ताह में नयी कोशिकाएं आ गयीं। उसी तरह से पैंक्रिया, लीवर, आँख आदि की कोशिकाएं आदि।
मेडिटेशन हमारी बीमारी पर कैसे काम करता है? (How Meditation works on disease)
अब प्रश्न यह है कि जब नयी कोशिकाएं आ रही हैं। तो वह स्वस्थ कोशिकाएं क्यों नहीं आ रही हैं। वह बीमारी वैसी की वैसी फिर से क्यों उत्पन्न हो रही है। अगर आपको ह्रदय रोग है और पांच सप्ताह में पुरानी कोशिकाएं चली गयीं। और नयी कोशिकाएं आ गयी तो वह हृदय जो है फिर दोबारा से स्वस्थ क्यों नहीं हुआ। आँखों में जो बीमारी है, अगर आँखों की सभी कोशिकाएं मर गयी और कुछ सप्ताह में सभी नयी कोशिकाएं आ गयीं तो आँखों की बीमारी क्यों नहीं ख़त्म होती है। अब इसके ऊपर जो स्टडी हुई है। उसमें बताया गया है कि कोशिकाओं के अन्दर जो डीएनए और अमिनो एसिड है।
यही मिलकर एक नयी कोशिका का निर्माण करतें हैं। अब वे कोशिकाएं बीमार या स्वस्थ हैं ये किस पर निर्भर करता है। दोनों ने देखा कि ये कोशिकाओं को जो लागातार सिग्नल्स आते हैं। और वो सिग्नल कोशिकाओं को बताते हैं। कि यह संरचना बनाओ यह आण्विक संरचना बनाओ जिससे कि वह कोशिका निर्धारित होगी। कि ये स्वस्थ या बीमार कोशिका पैदा होगी। यदि स्वस्थ कोशिका पैदा होती है। तो ह्रदय अथवा और भी जो आर्गन हैं उहें स्वस्थ कर देगा अगर बीमार कोशिकाएं पैदा होती हैं तो वह बीमार कर देगी।
डॉक्टर कहतें हैं कि जो सिग्नल्स हैं। अगर शरीर में जो टाक्सिन है। तो कोशिकाओं का वह सिग्नल डिस्टर्ब हो जायेगा और वही डिस्टर्ब सिग्नल बीमार कोशिकाएं पैदा करता है। और दूसरा जो है एक और सिग्नल है। अगर किसी तरह से टाक्सिन को अपने शरीर से रिलीज़ कर देंतें हैं। और कोई भी टाक्सिन अपने अन्दर नहीं रहने देतें हैं। तो अभी अंदर एक और सिग्नल है। जो यह तय करता है, कि स्वस्थ या फिर बीमार कोशिका को पैदा करना है। तो एक भौतिक और एक सिग्नल कहीं और से आ रहा है जो भौतिक सिग्नल है वह यो इस शरीर से हो गया और वह जो दूसरा सिग्नल है। वह आपकी दुसरे सूक्ष्म शरीरों से आ रहा है।
मेडिकल साइंस दुसरे सिग्नल के बारे में अभी तक आश्चर्य में है। अभी तक उनको इस चीज का ज्ञान नहीं है। लेकिन भारत का जो मेडिटेशन का जो ज्ञान है। वह विज्ञान को पूरा कर सकता है वह सिग्नल जो आ रहा है। वह किस शरीर से आ रहा है। और उस सिग्नल को कैसे सही करना है। उस सिग्नल को क्या massage देना है। कि स्वस्थ कोशिकाओं का उत्पादन हो वह कैसे करना है। वो मेडिटेशन साइंस में उपलब्ध है। तो आप मेडिटेशन की हर रोज आदत डालकर आपने शरीर के हर कोशिका का आण्विक संरचना को बदलकर स्वस्थ हो सकतें हैं।
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Conclusion
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